maithilpremi Sachin kumar maithil
मैथिली कविता शायरी काव्य कोष
मैथिली शायरी काव्य कोष
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पानी आँखी केर बचा क’ राखू
सुन्दर सपना सजा क’ राखू
जागल लोक रहैए सूतल
सूतल सभके जगा क’ राखू
लोके ले’ ई विधि-विधान अछि
लोकक खातिर जिया क’ राखू
मरुभूमिमे जल नै भेटत
अपन मोनके बुझा क’ राखू
हेरा जाएत जे कीछु भेटल
कतबो कतहु नुका क’ राखू
बर आ कनिनयाँके मंगल हो
लfय एकहिटा बना क’ राखू
संग ‘अनील’ हम छोड़ू कोना
हँसा क’ अथवा कना क’ राखू
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✍जगदश च ठाकुर ‘अनल’
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-- समा चकेबा -- |
-- समा चकेबा --
भरि साल ओ रहली सासुर
नैहर आबो त आबू
एलै देखियौ खरनाके दिन
सामा चलू बनाबू
छोटकी बहिनो समा बनतै
जेठकी दिदी चकेबा
हम बनाबी ढोलकियासब
भौजी बनबू चुगला
एलै एहन सोहाबन राइत
चकमक करै चंगेरा
ताँहिपर चारुदिस पसरल
सामा दाइके डेरा
गैयौ सबकिओ गीत गोसाओन
करियौ श्री गणेश
भैया जिता' सालो-साल
करथिन् कृपा महेश
समा-चकेबा खेलू बहिना
नीक गीतसब गाबू
भैया घर हो अनधन सोना
चुगलाके मुंह झरकाबू
…..✍ सचिन कुमार मैथिल
__ "आमाटोल बासोपट्टी "
__ " मधुबनी " मिथिला "
__ "( बिहार )
__ "Date :- 27-11-2015