
सुन्दर सपना सजा क’ राखू
जागल लोक रहैए सूतल
सूतल सभके जगा क’ राखू
लोके ले’ ई विधि-विधान अछि
लोकक खातिर जिया क’ राखू
मरुभूमिमे जल नै भेटत
अपन मोनके बुझा क’ राखू
हेरा जाएत जे कीछु भेटल
कतबो कतहु नुका क’ राखू
बर आ कनिनयाँके मंगल हो
लfय एकहिटा बना क’ राखू
संग ‘अनील’ हम छोड़ू कोना
हँसा क’ अथवा कना क’ राखू
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